23 मार्च शहीद दिवस

23 मार्च 1931 को ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को दी गई थी फांसी

इन्कलाब जिंदाबाद! आखिरी बार लाहौर की जेल में गूंजी थी तीन आवाजें, जानें शहीद दिवस के मायने
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पर मिटने वालों का यही निशान होगा
देश के शहीदों को नमन
जय हिन्द जय शहीद

शहीद दिवस: भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की ये कहानी आपने नहीं सुनी होगी

इन्कलाब जिंदाबाद!,इन्कलाब जिंदाबाद! आज से ठीक 87 साल पहले तीन आवाजों से ये नारा लाहौर की सेंट्रल जेल में आखिरी बार गूंजा था। चलिए जानते है इतिहास के पन्नों में 23 तारीख के क्या मायने रहे। 23 मार्च वो तारीक जिससे याद कर आज भी भारत माता का सीना फटने लगता होगा। इतिहास से लेकर आज तक इस तारीख के अलग ही मायने है। इस दिन भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई। इसी दिन मुस्लिम लीग के सत्र में लाहौर में पाकिस्तान का प्रस्ताव भी रखा गया था। भगत सिंह एक ऐसा नाम जिससे सुनने के बाद आज भी जेहन में जोश भर जाता है। आज भी उनका नाम लेने भर से सभी देशवासियों का सीना चौड़ा हो जाता है। भगत सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लिया और असेंबली में बम से वार किया। इस कारण ही उन्हें फांसी की दी गई। उनके साथ ही राजगुरु सुखदेव को भी 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। तीनों ने हंसते- हंसते देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

कुछ ऐसी थी भगत सिंह की विचारधारा

भगत सिंह को जिस वक्त फांसी हुई उस वक्त उनकी उम्र महज 23 साल की थी। अपने एक क्रांतीकारी साथी के सात मिलकर उन्होंने नई दिल्ली की सेंट्रल एसेंबली में आठ अप्रैल 1929 को बम और पर्चें फेंके। जिसके बाद भारत का हर एक नागरिक जान गया कि आखिर भगत सिंह है कौन। भगत सिंह ने कहा था कि इस घटना से वो सिर्फ अंग्रेज सरकार को जगाना चाहते थे। भगत सिंह और उनके साथी दोनों को उसी दिन सेंट्रेल एसेंबली से गिरफ्तार कर लिया गया था।

भगत सिंह पर लगे थे ये आरोप 

भगत सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनके उपर और भी कई आरोप लगे। भगत सिंह राजगुरु के खिलाफ लाहौर षड्यंत्र  मामला भी चला। भारत में कई हिस्सों में उस वक्त रोष फैल गया। अंग्रेजी सरकार ने इसे देखते हुए पंजाब के फिरोजपुर में हुसैनीवाला में ही तीनों क्रांतिकारियों का अंतिम संस्कार कर दिया।

मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे बसंती चोला…
मेरा रंग दे बसंती चोला, माय रंग दे बसंती चोला ।।।
Shahid Diwas Shayari 

“सरफ़रोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बात-चीत
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे उपर निस्सार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफ़िल में है
सरफ़रोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है”

23 मार्च वाले शहीद दिवस का कारण

23 मार्च 1931 की मध्यरात्रि को अंग्रेजी हुकूमत ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था। इन तीनों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए 23 मार्च को भी भारत में शहीद दिवस मनाया जाता है। इसे शहीदी दिवस भी कहते हैं। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था। 30 अक्टूबर 1928 को हुए लाठी चार्ज से लाला लाजपत राय की मौत हो गई थी। इसके बाद भगत सिंह ने अपने साथियों राजगुरु, सुखदेव, आजाद और जयगोपाल के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा और तेज कर दियाय था। भगत सिंह ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए अंग्रेज अफसर स्कॉट की हत्या की प्लानिंग की थी। पर हमले में अंग्रेस अफसर जे. पी. सैन्डर्स मारा गया। सैंडर्स हत्याकांड की जांच चलती रही, वहीं भगत सिंह आजादी की लड़ाई लड़ते रहे। 1929 में भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ  मिलकर अंग्रेज सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए आज की संसद और उस वक्त की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका और आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में सुखदेव और राजगुरु की भी गिरफ्तारी हो गई। 2 साल तक मुकदमा चला, लेकिन जब अंग्रेज हारते दिखे तो उन्होंने सैंडर्स हत्याकांड में बिना सबूत भगत सिंह को और कुछ अन्य मुकदमों में राजगुरु और सुखदेव को एकसाथ 24 मार्च 1931 को फांसी देने का ऐलान कर दिया। विद्रोह होने के डर से अंग्रेंजों ने तीनों को एक दिन पहले 23 मार्च 1931 को ही फांसी दे दी। इसी याद में 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है।

शहीद दिवस क्यों मनाते है?

Shaheed Diwas /  भारत के स्वतंत्र सेनानीयो व अमर वीर शहीदों की कुर्बानी को याद करने व उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष शहीद दिवस मनाया जाता है | अर्थात देश की रक्षा के लिए या वतन पे मरने वाले वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए शहीद दिवस मनाते है | ताकि आज की युवा पीढ़ी में देश के प्रति प्रेम व जोश बना रहे | और देश की लिए बलिदान हुए वीर सपूतो के जीवन संघर्ष को महत्व समझ सके |

शहीद दिवस कैसे मनाते है?

शहीद दिवस के दिन सभी स्कूलो, कॉलेजो व संस्थाओ में कार्यक्रम आयोजन कर शहीद दिवस का महत्व समझाते है | शहीद दिवस के दिन मुख्यत: 30 जनवरी को हर साल राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेना के प्रमुख राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं | साथ ही सेना के जवान श्रद्धांजलि देते हुए उनके सम्मान में अपने हथियार को नीचे छुकाते हैं | शहीद दिवस के दिन पूरे देश में महात्मा गांधी समेत अन्य शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन धारण करते हैं |

शहीद दिवस कब कब मनाया जाता हैं ?

30 जनवरी शहीद दिवस
14 फरवरी शहीद दिवस
23 मार्च शहीद दिवस
21 अक्टूबर शहीद दिवस
19 नवम्बर शहीद दिवस
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