गुरु पूर्णिमा क्यों, कब मनाई जाती है

इस कारण मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा, इन्हें माना जाता है ब्रह्मांड का पहला गुरु आषाढ़ की पूनम को ही क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा, जानिए कारण
Guru Purima: इस कारण मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा, इन्हें माना जाता है ब्रह्मांड का पहला गुरु

गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नम:।।

अर्थात गुरु ब्रह्मा, विष्णु और महेश है। गुरु तो परम ब्रह्म के समान होता है, ऐसे गुरु को मेरा प्रणाम। हिन्दू धर्म में गुरु की बहुत महत्ता बताई गई। गुरु का स्थान समाज में सर्वोपरि है। गुरु उस चमकते हुए चंद्र के समान होता है, जो अंधेरे में रोशनी देकर पथ-प्रदर्शन करता है। गुरु के समान अन्य कोई नहीं होता है, क्योंकि गुरु भगवान तक जाने का मार्ग बताता है।

गुरु पूर्णिमा क्यों, कब मनाई जाती है और इसका महत्व

भारतवर्ष में गुरु की प्रमुख भूमिका मानी गयी है. लेकिन क्या आप जानते हैं की गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है? भले ही पूरी दुनिया में किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व संवारने के लिए शिक्षा को प्राथमिकता दी गयी है लेकिन वहीं देखा जाए तो भारत में शिक्षा को तो महत्व दिया गया है उससे भी कहीं ज्यादा प्राथमिकता शिक्षक को दी गयी है. कहावत है कि गुरु ही है जो अपने शिष्य को सद्मार्ग के दर्शन कराता है. गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु को साक्षी मानकर मनाया जाता है.

हालांकि भारतवर्ष में मनाए जाने वाले हर पर्व के पीछे कोई न कोई पौराणिक मान्यता रहती है इसी तरह इस पर्व को मनाने के पीछे भी एक मान्यता है जो कि महर्षि वेदव्यास से जुड़ी हुई है. भारत में प्राचीन काल से गुरु और शिष्य की बहुत सी कथाएं प्रचिलित हैं जो हमें एहसास कराती हैं कि भविष्य संवारने में गुरु का विशेष योगदान रहता है. वहीं भारत में गुरु और शिष्य के बीच एक अलग ही रिश्ता माना जाता है, शिष्य अपने गुरुओं को पूज्यनीय देव का स्वरूप मानते हैं.

हीरे की तरह तराशा गुरु ने जीवन को आसान बनाया
गुरु ने अंदर विश्वास जगाकर तुम भी अपने आप को धनवान करो
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
गुरु आपके उपकार का,
कैसे चुकाऊँ मैं मोल ?
लाख कीमती धन भला..
गुरु हैं मेरा अनमोल…
हैप्पी गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर
मेरे गुरु के चरणों में परनाम,
मेरे गुरु जी कृपा राखियो
तेरे ही अर्पण मेरे प्राण !
शांति का पढ़ाया पाठ, अज्ञानता का मिटाया अंधकार
गुरु ने सिखाया हमें, नफरत पर विजय हैं प्यार.
गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है तो फिर चलिए शुरू करते हैं.

गुरु पूर्णिमा कब मनाया जाता है?

गुरु पूर्णिमा का पर्व भारत देश में वर्ष में एक बार हर वर्ष मनाया जाता है.गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास जी को समर्पित है गुरु पूर्णिमा का पर्व हिंदी कैलेंडर के आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है.
माना जाता है कि इस दिन 3000 ई. वर्ष पूर्व महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. उनके सम्मान में ही हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.

गुरु पूर्णिमा 2020 में कब था और 2021 में कब है?

वर्ष में गुरु पूर्णिमा 23 जुलाई को है

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है

भारत में गुरु को प्राचीनकाल से देवता तुल्य माना गया है. प्राचीनकाल में गुरु अपने शिष्यों को आश्रम में निःशुल्क शिक्षा देते थे, शिष्य अपने गुरुओं के लिए गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा आयोजित करते थे. माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु का आशीर्वाद लेने से शिष्य को सद्मार्ग की प्राप्ति होती है.
मान्यता है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था और गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास जी को समर्पित है. महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था और हर वर्ष इसी दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.
एक तरफ ये भी माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा से 4 महीने तक का मौसम अध्ययन के लिए बहुत अनुकूल रहता है. क्योंकि इन चार महीनों में न अधिक सर्दी होती है ना अधिक गर्मी.

गुरु पूर्णिमा की कहानी

गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास जी को समर्पित है. वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले महर्षि वेदव्यास जी को मनुष्य जाति का प्रथम गुरु माना गया है. माना जाता है आज से लगभग 3000 ई. वर्ष पूर्व महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था.
महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हुआ था और हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इसीलिए इस दिन बहुत से लोग महर्षि वेदव्यास जी के छायाचित्र की पूजा करते हैं.
माना जाता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी ने अपने शिष्यों एवं मुनियों को सर्वप्रथम भागवत गीता का ज्ञान दिया था. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार महर्षि वेदव्यास जी को तीनों कालों का ज्ञाता माना जाता है. हिन्दू धर्म के चारों वेदों का विभाग किया. महर्षि वेदव्यास जी ने ही श्रीमद भागवत की रचना की और अठारह पुराणों की रचना की.
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु का महत्व भारतवर्ष की संस्कृति में प्राचीनकाल से ही रहा है. गुरु एवं शिष्य की बहुत सी कथाएं भी प्रचिलित हैं. भारत में गुरु एवं शिष्य के बीच का एक अनोखा रिश्ता माना गया है. गुरु के प्रति आदर, सम्मान व कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है.
गुरु को भारतवर्ष में शुरू से ही देवता तुल्य माना गया है और ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश के रूप में पूजा गया है. गुरुपूर्णिमा का पर्व अंधविश्वास से नही बल्कि श्रद्धाभाव से मनाना चाहिए.
शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु अपने शिष्य के जीवन को अंधकार से हटाकर प्रकाश की ओर ले जाता है. गुरु पूर्णिमा वर्ष भर में पड़ने वाली सभी पूर्णिमा से खास मानी जाती है. कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा का पुण्य अर्जित करने से वर्ष में पड़ने वाली सभी पूर्णिमाओं का पुण्य मिल जाता है.

गुरु पूर्णिमा का पर्व कैंसे मनाया जाता है?

प्राचीनकाल में गुरु अपने आश्रमों में शिष्यों को मुफ्त शिक्षा देते थे और सभी शिष्य मिलकर अपने गुरु के लिए पूजन आयोजित करते थे. गुरु पूर्णिमा का पर्व अलग अलग तरीके से मनाते हैं. आमतौर पर लोग इस दिन अपने गुरु का पूजन कर उन्हें उपहार देकर चरणस्पर्श करते हैं और गुरु का आशीर्वाद ग्रहण करते हैं. बहुत से लोग जिनके गुरु दिवंगत हो गए हैं वे अपने गुरु की चरण पादुकाओं की पूजा करते हैं.

कुछ लोग गुरु पूर्णिमा का पर्व मुहूर्त में मनाते है. सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करते हैं. स्नान करने के बाद भगवान विष्णु, शंकर एवं बृहस्पति की पूजा करने के बाद व्यास जी की पूजा करते हैं.

इस दिन सफेद या पीला वस्त्र धारण कर अपने गुरु का चित्र उत्तर दिशा में रखा जाता है. गुरु के चित्र को फूलों की माला पहनाकर, भोग लगाकर आरती एवं पूजन किया जाता है इसके बाद चरणस्पर्श कर गुरु का आशीर्वाद ग्रहण किया जाता है.

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