मेरी दीवानगी की कोई हद ही
मेरी दीवानगी की कोई हद ही नहीं,
सूरत के सिवा तेरी मुझे कुछ याद नहीं,
मैं हूँ फूल तेरे ही गुलशन का.
सिवाए तेरे मेरे पे किसी का हक नहीं..!
मेरी दीवानगी की कोई हद ही नहीं,
सूरत के सिवा तेरी मुझे कुछ याद नहीं,
मैं हूँ फूल तेरे ही गुलशन का.
सिवाए तेरे मेरे पे किसी का हक नहीं..!