ना जाने कैसा जादू है, मेरे श्याम के
ना जाने कैसा जादू है, मेरे श्याम के दरबार का,
मैं जाता हूं बिखर के, और आता हूं निखर के।।
।। जय श्री श्याम।।
ना जाने कैसा जादू है, मेरे श्याम के दरबार का,
मैं जाता हूं बिखर के, और आता हूं निखर के।।
।। जय श्री श्याम।।