Sharabi Shayari
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'तू' डालता जा साकी शराब
‘तू’ डालता जा साकी शराब मेरे प्यालो में, जब तक ‘वो’ न निकले मेरे ख्यालों से….!!!
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पीने से कर चुका था मैं
पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर ‘जलील’ बादल का रंग देख के नीयत बदल गई,.,!!!
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मयखाने बंद कर दे चाहे लाख
मयखाने बंद कर दे चाहे लाख दुनिया वाले, लेकिन..शहर में कम नही है, निगाहों से पिलाने वाले……!!!
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कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे
कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ
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परदा तो होश वालों से
परदा तो होश वालों से किया जाता है हुज़ूर तुम बेनक़ाब चले आओ हम तो नशे में हैं
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सोचा था कुछ और, लेकिन
सोचा था कुछ और, लेकिन हुआ कुछ और इसीलिए ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर
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कहते हैं पीने वाले मर
कहते हैं पीने वाले मर जाते हैं जवानी में हमने तो बुजुर्गों को जवान होते देखा है मैखाने में
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रख ले 2-4 बोतल कफ़न में,
रख ले 2-4 बोतल कफ़न में, साथ बैठ कर पिया करेंगे, जब माँगे गा हिसाब गुनाहों का, एक पेग उसे भी दे दिया करेंगे!!
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मत पूछ उसके मैखाने का
मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है
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